सूचना क्रांति की उलटबांसियां
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि पिछले पांच सालों में भारत में मीडिया परिदृश्य बहुत बदल गया है। सरकारी आतंक ने उसकी स्वतंत्रता और मुखरता दोनों को काफी हद तक छीन लिया है। चीखने, चिल्लाने और गुर्राने वाले तो अभी भी हैं, मगर वे उन पर नहीं गुर्राते जिन पर गुर्राना चाहिए। वे सॉफ्रट टॉरगेट की तलाश में रहते....
