मदन कश्यप 

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समय, समाज, लेखक  और पाठक 

‘‘पहले विचार पर विचार का आक्रमण होता था पर अब विचार पर बाजार का आक्रमण हो गया है। कवियों में पहले समाज, दलित, पिछड़े, आदिवासियों के लिए सरोकार होता था। मौजूदा समय में कुछ कवियों में संवेदनाओं का संकुचन हुआ है।’
 

-मदन कश्यप

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