आत्मवक्तव्य/वंदना गुप्ता
जैसा कि हम सभी जानते हैं, लेखक कहानियों के प्लॉट समाज से ही उठाता है। तकरीबन 14-15 साल पहले ‘गृहशोभा’ में व्यक्तिगत समस्या के रूप में ऐसा ही एक प्रश्न पढ़ा था। तब मैं लिखा नहीं करती थी, बस किताबें पत्रिकायें पढ़ा करती थी। इस समस्या को तब पढ़ा और छोड़ दिया था लेकिन जब से लिखने लगी तो एक दिन अचानक इस समस्या ....
