तुमने तो यह रूप धरा था अपने साथ हुए तिरस्कार के प्रतिशोध के लिए और पूर्ण पुरुष न होते हुए भी इतिहास में कर दिया था अंकित अपना नाम। और वह कर गुजरे थे जो कि पूर्ण पुरुष भी न कर सकते थे।
इतिहास के ....
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।