सुभाष शर्मा 

पंजाबी कविताएं
मूल लेखक: सुभाष शर्मा 
अनुवाद: नीलम शर्मा

 

शिखंडी


तुमने तो यह रूप धरा था
अपने साथ हुए
तिरस्कार के प्रतिशोध के लिए 
और पूर्ण पुरुष न होते हुए भी
इतिहास में
कर दिया था अंकित
अपना नाम।
और वह कर गुजरे थे
जो कि पूर्ण पुरुष भी
न कर सकते थे।

इतिहास के
....

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