बड़ी संभावनाओं के कवि
सामाजिक-सांस्कृतिक विडंबनाओं की शिनाख्त करती कविताएं
यथार्थपरक और संवेदना से भरपूर कविताएं
शिव कुमार यादव
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।