बीसवीं शताब्दी के सातवें दशक में राजस्थान के जिन कथाकारों की अलग पहचान बनी उनमें स्वयं प्रकाश, आलमशाह खान, मणि मधु
पूरा पढ़ेस्वयं प्रकाश जी की कहानियां तो पढ़ी थीं और बहुत शुरुआती दौर में ही मुझे लगने लगा था कि वे ज्ञानरंजन की पीढ़ी के बाद के
पूरा पढ़ेबाद के दिनों को भी मैं उन्हें यहां वहां पढ़ता रहा। पर इस कहानी की जो छाप मन में पड़ी वह पड़ी ही रह गई अंत तक। मैं कहानी का
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