लाल बेहाल माटी पढ़कर हिल गया। इस कहानी के साथ उन पाठकों को जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘एनिमल फॉर्म’ और 1984 पढ़ना चाहिए ताकि
चिट्ठी आई है
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।