पूजा यादव

पूजा यादव की चार कविताएं

 ढंग

तुम्हारे उठने, बैठने, चलने, बोलने, रुकने,
मुस्कुराने यहां तक कि रोने में भी
इन्हें एक ढंग दिखना चाहिए
जिससे इनके भीतर का अहं सलामत रहे।

एक और साक्षात्कार

मन में अनगिनत ऊहापोह उठती
कुछ बातें जेहन में शूल-सी चुभती
पिछले साक्षात्कारों के अनुभवों ने वैसे तो
जलील होना सिखा दिया था
बावज....

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