अतिरिक्तता
जैसे भीड़ में
मेरे बाद सब भीड़ है
जैसे छद्म में
मेरे बाद सब छद्म है
जैसे भाषा में
मेरे बाद सब झूठ है
वैसे ही जगत में
मेरे बाद सब ‘वस्तुएं’ हैं
मुझे दिखती ही है:
मेरे बाद की सारी अतिरिक्तता
और मेरे होने की अनिवार्यता।
घोषणा
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