बस
एक-एक करके उतरते गए यात्री
और बस होती गई खाली
खाली हो चुकी बस को
किसी भी यात्री ने न मुड़कर देखा
न एक-दो क्षण ठहरकर
यह देख बस उलझ गई अपने ही हालातों में
डूब गई दुख-अकेलेपन हताशा में
वह न हंस सकने की स्थिति में थी
न ही रो सकने की स्थिति में
सोच रही थीµ
दुख-कष्ट सहकर सबको पहुंचाती रही मंजिल तक
फिर भी अ....
