खेमकरण ‘सोमन’

खेमकरण ‘सोमन’ की कुछ कविताएं

बस

एक-एक करके उतरते गए यात्री 
और बस होती गई खाली

खाली हो चुकी बस को
किसी भी यात्री ने न मुड़कर देखा 
न एक-दो क्षण ठहरकर
यह देख बस उलझ गई अपने ही हालातों में
डूब गई दुख-अकेलेपन हताशा में
वह न हंस सकने की स्थिति में थी
न ही रो सकने की स्थिति में
सोच रही थीµ 
दुख-कष्ट सहकर सबको पहुंचाती रही मंजिल तक
फिर भी अ....

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