किरण अग्रवाल

किरण अग्रवाल की कविता

एक प्याली चाय


चुनाव का मौसम है
रौनक है गली-गली बाजार में
बोली लग रही है जोर-जोर से
हमारा माल बेहतर है उसके माल से
नहीं, हमारा माल बेहतर है उसके माल से

लाउडस्पीकर पर कोई एनाउंसमेंट हो रहा है
शायद झाड़न्न् को लेकरµझाड़न्न् को अपनाइए
और बिजली-पानी मुफ्रत पाइए
और मैं सोचती हूं झाड़न्न् तो घर-घर में है

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