सुदेश कुमार मेहर

मैं गुलमुहर 

यहां इस गुलमुहर के तने से टिककर मैं उसका इंतजार किया करता था---वहां उस ओर से वो कॉलेज के लिए रोज आया करती थी।
‘तुम्हें गुलमुहर बहुत पसंद है’ ---बाद के दिनों में उसने मुझसे पूछा था।
हम अक्सर गुलमुहर के पास चले आते और देर तक इसकी छांव में बातें किया करते। हम गुलमुहर के साथ घुल-मिल रहे थे। वह हमारी आने वाली स्मृतियों का अभिन्न हिस्सा बन रहा था।
उसके इंतजार क....

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