मनुष्य से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। यानी मनुष्यता ही सर्वोच्च जीवन-मूल्य है। राजनीति हो, अर्थनीति हो, वर्गों और जातियों का द्वंद्व हो या राष्ट्रों के बीच संघर्ष समन्वय, मानव सभ्यता का इतिहास कदम-कदम पर इस बात की तस्दीक करता है कि ये सब कुछ श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों (सत्य, अहिंसा, पारस्परिक सहयोग और सामूहिकता) की स्थापना के लिए हुए संघर्षों का परिणाम है। यह समाज की सहस्राब्दि....
