प्रेमचंद की प्रगतिशील-यथार्थवादी परंपरा से जुड़कर कथा को समृद्ध करने वाले समर्थ कथाकारों में शंकर प्रमुख हैं। पिछले कई दशकों से वे न सिर्फ कथाकार के रूप में अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं बल्कि कथा-आलोचना पर भी उनकी गहरी पकड़ है। हिंदी में इधर नई सदी के दो दशकाें की कहानियों को वे निरंतर परख रहे हैं। शंकर की कहानियों के पाठक जानते हैं कि उनका कथाकार पिछली सदी में बाजार और सां....
