‘जो हो रहा है वह एक वर्ग विशेष को नज़र में रखकर हो रहा है
हारुन रशीद खान
पूरा पढ़े
पूरा देखें
हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।