ज्यों ही मैं कोर्ट से बाहर निकली, वह तमतमाता हुआ मेरे पीछे आया, जैसे अभी-अभी लील जाएगा मुझे। चिनार की पत्तियां मेरे स्वागत में बिछी थी, मैं अकेलेपन के दरवाजे में प्रवेश कर रही थी अभी-अभी। सारे पेड़-पौधे हैरानी से देख रहे थे मुझे, जैसे उन्हें मुझ पर तरस आ रहा हो या मेरे बच्चे पर। एक चिनार ही तो मेरे स्वागत में बिछा था, बाकी तो जाफरान हो या टयूलिप या हो गुलाब, सबके सब उदास मुरझाए ....
