उस धब्बे के साथ वह चली जा रही थी, ली जा रही थी, ली जा रही थी। दिन के दो बजे की कड़कड़ाती धूप में वह जलते हुए, चलते हुए, झुलसते हुए उस धब्बे के साथ चली जा रही थी। कुछ होश नहीं था बस इतना पता था कि चलते जाना है। भूख लगे, प्यास लगे चुप रहना है बस चलते रहना है। ग्यारह साल की भूरकी को लगने लगा था कि उसके पैर और कमर थकान के मारे मर चुके हैं। चौदह साल की उसकी बड़ी बहन कालकी उसकी कमर के पीछे हाथ ....
