स्नेहलता नेगी

संस्कृति का संकट और जसिंता केरकेट्टा की कविताएं

कविता का संसार अपने आंचल में हर भाव को भरकर रखता है। जैसे-जैसे भाव के क्षेत्र का अतिक्रमण कर दिया गया वैसे-वैसे अकादमिक संस्कारों में कविता की निरर्थकता के प्रति विवाद बढ़ता गया। कविता ने भी ऐसी संभावनाओं का हाथ थाम कर एक नई जमीन की सृजना शुरू कर दी। इस जमीन पर उन भावों की उर्वरता अधिक थी जो परंपरा से हाशिए पर धकेल दिए गए थे। ऐसे में आदिवासी कविताएं अपनी भाषा व्यवहार परिवे....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें