अहंकार
जीवन मरण के
शाश्वत सत्य पर
कालचक्र के
निर्बांध पथ पर
इस क्षणभंगुर
माया बाजार पर
ऐ अहंकार
ये तेरा
कैसा नर्तन?
सुख-दुख के
भावों से निर्मित
मोह माया के
रंगों से रंजित
नश्वरता के इस
क्रूर खेल पर
ऐ मानव
ये तेरा
कैसा
अभिमान
परिलक्षित?
इबारत
कवि को
बखूबी पता है
Subscribe Now
