इरा ठाकुर

 इरा ठाकुर की पांच कविताएं

अहंकार
 

जीवन मरण के
शाश्वत सत्य पर
कालचक्र के
निर्बांध पथ पर
इस क्षणभंगुर
माया बाजार पर
ऐ अहंकार
ये तेरा
कैसा नर्तन?
सुख-दुख के
भावों से निर्मित
मोह माया के
रंगों से रंजित
नश्वरता के इस
क्रूर खेल पर
ऐ मानव
ये तेरा
कैसा
अभिमान
परिलक्षित?
       
इबारत

कवि को
बखूबी पता है
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