गोलेंद्र पटेल

गोलेंद्र पटेल की चार कविताएं

कविता में किन्नर

प्रिय दोस्त!
न स्त्री
न पुरुष
न ही अर्धनारीश्वर हो तुम

तुम कविता में किन्नर हो
यानी थर्ड जेंडर
µट्रांसजेंडर
लफंगों की भाषा में हिजड़ा
तुम्हारा गात
गोया गम का पिंजड़ा
पर तुम मुझे पसंद हो!---

इस सृष्टि में
तुम्हारी ताली
कुदृष्टि के लिए
गाली है
तुम भी उसी कोख से उत्....

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