सुदर्शना द्विवेदी

सूर्यबाला: एक कथा यात्रा

एक औरत है, उसकी उम्र कुछ भी हो सकती है 16-30 या 45-50। जरूरी नहीं कि खूबसूरत ही हो। आबनूस का लट्ठा भी हो सकती है और फूंक से माथे पर आए बालों की लट हटाने वाली मायाविनी भी। कुंवारी, तालाकशुदा, बेटी या मां या बहन, या भाभी, ये औरत कुछ भी हो सकती हैं। न-न कोई झंडा नहीं है इसके हाथ में न ही असहाय क्रोध से इसके होंठ भिंचे हुए हैं। ना आंसुओं को रोकने की कोशिश में फड़कते हुए नथुने हैं। मैंने कहा न ए....

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