किंकुश गुप्ता

कहानियों की नैतिकता

हिंदी कहानी तक कैसे पहुंचा यह अपने आप में लंबी कहानी है। मैं पांच साल से अंग्रेजी में लिऽता रहा था और चाहे मन में कई बार दादी के साथ हिंदी उपन्यास पढ़ने का मन में आता रहा। मैंने कभी हिंदी साहित्य पढ़ने की कोशिश नहीं की। इंग्लिश का ग्लैमर मुझे लुभाता था। यह भी लगता था कि ‘न्यू यॉर्कर’ में छपे लेड़कों से ही केवल साहित्य सीऽा जा सकता है। लेकिन उससे भी बड़ी वर्जना यही थी (जो ढेरा....

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