साठोत्तरी हिंदी कथा साहित्य में सूर्यबाला का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने बिना डुगडुगी पीटे गद्य-पद्य दोनों विधाओं में इस विश्वास के साथ विपुल लेऽन किया है कि बात में दम होगी तो बोलेगी और ऽुलकर बोलेगी। उनके रचना संसार पर समग्रता में बात करने के लिए मूल्यांकन होना ही चाहिए। लगभग पंद्रह-बीस बरस हो गये। मेरे नगर सतना में म-प्र- साहित्य अकादमी के तत्कालीन निदेशक डॉ- देव....
