पंकज शर्मा

सूर्यबाला हिंदी साहित्य की मदर टेरेसा हैं

सूर्य\बाला आठवें दशक में अपार शोहरत के साथ धूमकेतु की तरह चमकीं। उन्होंने किसी के आशीर्वाद के प्रताप से लेखन की दुनिया में खुद को स्थापित-सत्यापित नहीं किया। अपने लेखन में अलगाव, निराशा, ऊबन और उदासी को एक महीन छलनी से छान कर बाहर का रास्ता देखा दिया। पूरब-पश्चिम को किसी महत्वकांक्षी परियोजना के तहत घुलाया-मिलाया नहीं बल्कि जीवन सत्य के लिए जितना आवश्यक हुआ, उसे आदर भाव ....

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