लहरी राम मीणा

स्त्री जीवन की समर्थ कथाकार: सूर्यबाला
समकालीन कथा साहित्य एवं व्यंग्य विधा में सूर्यबाला ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। स्त्री-विमर्श के मामले हो या साहित्य का कोई अन्य विमर्श वह अपने साहित्य को पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति के आइने से न देखकर भारतीय परंपरा, संस्कृति एवं मूल्यों की दृष्टि से देखती हैं। पश्चिमी सभ्यता की बजाय भारतीयता को ही स्थापित करने पर बल देती है....
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