चारू चित्रा

बीहड़ों की कसमसाती जीवनानुभूति है  

लैड़ईं गाँव का समग्र चित्रण करता वीरेंद्र जैन का “डूब”,उत्तर प्रदेशके करइल क्षेत्र की पृष्ठभूमि पर लिखा गया विवेकी राय का “सोनामाटी”, पलामू क्षेत्र के मुद्दों को उभारता मनमोहन पाठक का “जहां खिल रहे हैं रक्त पलाश” या मैत्रयी पुष्पा का बुंदेलखंड के आंचलिक परिप्रेक्ष्य में लिखा गया“बेतवा बहती है” जैसे उपन्यासों की परिपाटी को निभाता हुआ हरिराम मीणा,का उपन्य....

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