पिछले एक दशक से प्रज्ञा का कथाकार निरंतर सक्रिय है। किसी भी रचनाकार की निरंतरता उसे कथा-संसार में चर्चित बनाने में सहायक होती है। कहानीकार की रचनाओं में इकहरापन न हो, वैविध्य हो तो पाठक उस कहानीकार का नाम गंभीरता के साथ लेते हैं। उसकी रचनाओं को बड़े चाव से पढ़ते हैं। प्रज्ञा के संदर्भ में यह बात मज़बूती के साथ कही जा सकती है। उनकेप्रारंभिककहानीसंग्रह ‘तक्सीम’ और दू....
