आधुनिक अकादमिक जगत भी अपने देश, समाज,धर्म संस्कृति और मनुष्यता के संदर्भ में बेहतरी के लिए ही अनवरत अध्ययन,शिक्षण,शोध के माध्यम से विचार, विमर्श, चिंतन, सैद्धांतिकता और आलोचनात्मकता को विकसित करता है। उसे एक नहीं,अनेक दृष्टियों एवं विकल्पों से समृद्ध करता है। नई दृष्टि पुरानी दृष्टि के विस्थापन में ही अपने अस्तित्व को देखती है,परंतु पुरानी दृष्टि के अर्थ, महत्व और समय ....
