तुलसी की वैचारिकताकाआधार भक्तिहै। भक्ति की दुनिया में वे अपनी और अपने समय की लगभग सारी समस्याओं का दाहशमित होते देखते हैं। शबरी के सामने राम नवधा भक्ति का स्वरूप बताते हैं तो कहते हैं- ‘इन नौ में से एक भक्ति भी हो तो वह मुझे अत्यंत प्रिय होता है। तुझमें तो सभी प्रकार की भक्ति दृढ़ है! अत: योगियों को भी दुर्लभ गति तेरे लिए सुलभ है।’ भक्तिलोक में आ जाने प....
