कुमार अम्बुज

प्रेम का संभ्रम

जब तुम अपने प्रिय को विदा करने आते हो
एक भोंपू, सायरन या सीटी की आवाज़
तुम्हारी विकलता को ढांप लेती है
 
प्रेम को एक दिन
दुर्जेय स्मृति की तरह भुगतना पड़ता है  
प्रेम विलीन हो जाता है, रह जाता है उसका संभ्रम
वही प्रेम को देता है रहस्यमयी आभामंडल
वही बनाए रखता है उसे चिरायु
 
अब तुम्हारी संदूक़ में ऐसा कुछ नहीं बाक़ी
जिसमें से हास्यास्पद य....

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