चिट्ठी आई है

सहजने योग्य अंक

मैं ‘पाखी’ का रेगुलर पाठक हूं। जनवरी-फरवरी 2021 का अंक देश विशेषांक जो कि सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहा उसे बारीकी से पढ़ा। यह अंक अपने आप में कई मायनों में अनूठा लगा, जैसे कि कवर पेज को ही देखे तो एक चिंतन एक देश के प्रति स्पष्ट झलकता है। संपादक महोदय ने अपने संपादकीय में जिस आशय को लेकर अपना आलेख लिखा है वह आज के दौर का एक प्रासंगिक बिंदु है। एक जुगनू अब रोशनी का इमाम....

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