कविता

  • ये पहाड़ी औरतें

    ऊंचे पहाड़ों पर टिड्डे सी चढ़ती-उतरती  ‘भ्योलों’से  ‘ठीठे’ सी लुढ़क जाती  सूरजको‘धात’लगाती  भोर की सहयात्री औरते

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  • मैं तुम्हारे देश की गिलहरियों के रंग का हूं

    कपड़ों का मेरा कोई पसंदीदा रंग नहीं है फिर भी नीला मैं बाक़ी रंगों से ज्यादा पहनता हूं मैं जो तुम्हारे देश की गिलहर

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  • माँ

    इस धरती पर अपने शहर में मैं एक उपेक्षित उपन्यास के बीच में एक छोटे-से शब्द-सा आया था

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  • स्त्री की बगावत का एक दिया

    स्त्रियां जन्मजात बागी होती हैं अपनी मां से वह इसे विरासत में पा लेती हैं चुपचाप पिता , भाई , प्रेमी , पति और पुत्र नि

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  • सुनो मछुआरे

    सुनो मछुआरे जब तुम जाल फेंकते हो सागर में तुम्हारी बाहों की मछलियां

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