हरीदास व्यास

कहानी है कि खत्म नहीं होती

मैं जब पहली बार उससे मिला, तब वह मुझे वैसी ही उदास लगी जैसे कि सर्दियों में सूने आकाश मंे ठिठका हुआ मलिन-सा चाँद। ऐसा गेहुँआ रंग जो उदास होने के पर उसे साँवली बना देता और खुश होने पर वह खुलता-सा रंग लगता। उसके शरीर का गठन ऐसा कि साँवले रंग में वह दुबली और बीमार-सी लगती जब कि खुलते हुए रंग में वह स्वस्थ और सुर्ख से छलछलाती हुई महिला दिखाई देती।
कुछ-कुछ रोमिल चेहरा। दक्षिण की ....

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