चुप्पी प्रेम की सबसे प्रिय
शरणस्थली है। बोल-बनाव
मनुहार का सिलसिला।
एक की हथेली
जब दूसरे की हथेली से
छूटती है तो फिर लौटना
छूटते समय की आंच पर
निर्भर करता है।
अधूरे प्रेम का भी
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।