मैंने तुम्हें देखा
आकाश सी विस्तृत हो गयी कल्पनाएं
पृथ्वी सा उर्वर हो गया मन
सारा जल उतर आया आंखों में
अग्नि दहक उठी कामना की
विचारों को मिल गये वायु के पंख
देखो न
कितना अच्छा है देखना तुमको---
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हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।