कृषक जी, सबसे पहले तो मैं आपसे यही जानना चाहूँगा कि कविता का आपके जीवन में क्या स्थान है?
उत्तर: जीवन नहीं, तो जीवन का पर्याय। जीवन उसमें जरूर है, लेकिन जीवन वह नहीं है। बाबा नागार्जुन से किसी ने पूछा था कि जीवन को आप अपनी कविता में कितना रच पाए? तो उन्होंने अपनी दोनों बाँहें फैलाते हुए कहा था कि जीवन का विस्तार तो इतना है, लेकिन रचा मैंने कन्नी अँगुली जितना ही है। या....
