भालचंद जोशी

गिरती बर्फ के पीछे सर्द दुखों की कथा

शैलेय ने अपना बचपन और किशोर जीवन गांव में गुजारा है। यह गुजरा जीवन उनकी स्मृतियों का मूल्यवान हिस्सा है। अब उनसे गांव पीछे छूट गया है। वे शहरी जीवन का व्यस्त हिस्सा हो गए हैं। मैंने इस बात को पहले भी जोर देकर कहा और लिऽा है कि गांव पर लिऽने के लिए युवा पीढ़ी को गांव में निरंतर रहते रहना जरूरी नहीं है। ऐसी शर्त, जिद या छूट देकर युवा पीढ़ी को एक तरह से गांव से रिश्ता ऽत्म करने या ....

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