हफ्ते भर बाद एक दिन रात को खाना खाते समय अकन ने लाखेस्वर से कहा, “ मैं एक बात सोच रहा हूँ मामाजी.”
थोड़ी देर तक उसे चुपचाप देखकर लाखेस्वर ने पूछा, “कौन सी बात ?”
“अब तो आपने लकड़ी के दूकान में लगकर काम करना छोड़ ही दिया है.”
लाखेस्वर ने धीमी आवाज़ में कहा, “ वैसे हर समय वहाँ नहीं रह पाता, पर शम्भू और बाकी लड़के क्या करते हैं उस पर ध्यान रख रहा हूँ.” थोड़ी देर चुप रहने ....
