संतोष कुमार तिवारी

नववर्ष

(1)

ओ नववर्ष

नववर्ष आना

रथ पर सवार होकर नहीं पैदल आना।

 

मेरे वस्त्र मैले हैं हाथ गंदे

रास्ते के कांटे जो बीने हैं

तुम्हारी आने की शी में।

 

हे नववर्ष पथ में बिछी पंखूरियां

और वंदनवार में टंके

फूल कुम्हलाने के पहले आना।

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