समय, मांग और खपत के मद्देनजर जिस तरीके से सिनेमा-संसार पिछले कुछ सालों से अपना रूप बदल रहा है, वह जितना आश्चर्यजनक है, उतना ही मीमांसा योग्य भी है। सिनेमा अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है। इसीलिए मनोरंजन के मामले में भी इसकी दूर-दूर तक पहुंच निर्विवाद है। एक जमाने से इसी पहुंच को ध्यान में रख कर हमारे देश में समाज और पारिवारिकता के भारतीय मूल्यों को संभालने वाली फिल्मो....
