‘‘हम अपने राज पर नाजां थे, शर्मसार न थे, हर इक से हम सुखन-ए-राजदार करते रहे--’’ फैज अहमद फैज, 21 अगस्त 1953 (जिन्ना अस्पताल,
भूमिका द्विवेदी ‘अश्क’
पूरा पढ़े
पूरा देखें
हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।