मृत्यु जीवन का अपरिहार्य सत्य है। जो जन्म लेता है, उसे मरना ही होता है। जब शिशु का जन्म होता है, तब उसका रुदन इस बात का संकेत देता है कि उसने जीवन के प्रांगण में सामान्य रूप से प्रवेश किया है। जब व्यक्ति महाप्रयाण करता है, तब भी आत्मीयजनों के लिए उसकी स्मृतियां रुदन का कारण बन जाती हैं। कबीर इन्हीं दोनों क्षणों को रेखांकित करते हुए कहते हैं -‘‘कबीरा जब पैदा हुए तो जग हंसा....
