ज्ञानेंद्र पाठक

(1)

नई जमीन नया फलसफा तलाश करो
नई गजल के लिए कुछ नया तलाश करो

मेरा जमीर जो रस्ता मुझे दिखाता था
वो मुझको छोड़ कहां गुम हुआ तलाश करो

वो एक शख्स जो मुझको बहुत ही प्यारा था
किसी ने छीन लिया तुम जरा तलाश करो

कदम कदम पे मिलेंगे बहुत से चौराहे
इन्हीं में सोच समझ रास्ता तलाश करो

वो जिसका काम ही फूलों को हार....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें