नीतू मुकुल
आठवां फेरा... नो हुक-अप प्लीज...!
आदमी के आंखों का सूखता पानी और बहते आंसू की जिम्मेदारी भी बदलते दौर की कहानी हो चली है। रिश्ते खत्म होने की चली बयार में विश्वास,अपनापन, प्यार, लगाव के पत्ते पतझड़ के मानिंद सूखे हो गिर चुके हैं और बचा है केवल तना हुआ रिश्ते का नंगा दरख्त जिसके नीचे संवेदनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं और हम बचे हुए रिश्तों के कंकाल को ढोते हए विकास की तरफ बढ़ रहे हैं। हम उ....
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