भावना शेखर

रुद्राभिषेक

शिवरात्रि के दिन पूजा की थाली उठाकर सुभद्रा चली रुद्राभिषेक करने। गली से निकलते ही मंदिर का कलश दिखने लगा किंतु भक्तों की लंबी कतार देख मन में उमड़ता उत्साह ठंडा पड़ गया। तेज कदमों से चलकर लाइन में लग तो गई पर जल्दी चलने से लोटे में रखा दूध थाली में रखे फूल, बेलपत्र आदि सामग्री पर छलक गया। छोटी प्लेट में रखे लड्डू नहीं भीगे इसका इत्मीनान था। कछुए की चाल से कतार आगे बढ़ रह....

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