रेत समाधि की परंपरा
बिगाड़ के डर से कोई ईमान की बात नहीं कह रहा। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार ने सबको खामोश कर दिया है। हिंदी के किसी आलोचक ने रेत समाधि पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। पुरस्कार के बाद कुछ टिप्पणियां जरूर देखने में आईं जिसमें गीतांजलिश्री की प्रयोगशीलता, भाषा से खिलवाड़, सरहद/विभाजन, मां बेटी के विरल संबंध इत्यादि बातों के आधार ....
