या शहर, या तुम
इस शहर की सुबहें
तुम्हारी देह की ही तरह
थकी-थकी सी नजर आती हैं
सुबहों को इंतजार हैµ
स्कूलों को जाने के लिए
बच्चें घरों से निकलें
जिस तरह तुम
दर्पण देखना नहीं छोड़ सकती
यह शहर संवारता है खुद को।
सांझ का क्षितिज
मेरी चिंता&nb....
