राकेश कुमार सिंह

जैसे जीवन है वैसे ही  रचना को होना चाहिए

बी-5, दिलशाद गार्डन। डॉ- विश्वनाथ त्रिपाठी का घर। लंबे समय के बाद वहां जा रहा था। इस दौरान फोन पर बात कई बार होती रही। इन कुछ वर्षों में वहां जो बदल गया वह ये था कि विश्वनाथ जी 94 वर्ष के होने वाले थे और बहुत कमजोर लग रहे थे। तन के साथ-साथ मन से भी। इस बार घर पर उनकी पत्नी नहीं थीं। उनका निधन हो चुका। इससे पहले कई बार वे ही दरवाजा खोलती थीं या दरवाजा खुलते ही सामने नजर आती थीं। उन....

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