यह साक्षात्कार ‘पाखी’ के अगस्त 2018 अंक में प्रकाशित हुआ था। इस साक्षात्कार के प्रकाशित होते ही हंगामा बरप गया था। पूरा प्रसंग अत्यंत अप्रिय है और अब सात बरस बाद उस पर चर्चा करना व्यर्थ है। वर्तमान अंक में उन प्रश्नों को और उनके उत्तर को हटा दिया गया है। इस साक्षात्कार की सबसे बड़ी उपलब्धि त्रिपाठी जी का कथन है कि ‘सुखी रहना सबसे बड़ी नैतिकता है’
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