अर्पण कुमार

जीवन के हर रंग-ढंग में मगनामगन बिसनाथ

आलोचक, संस्मरणकार विश्वनाथ त्रिपाठी (जन्म  16 फरवरी, 1931, बिस्कोहर, सिद्धार्थनगर) शुरुआती दौर में कविताएं लिखते रहे। ‘बरवै’ छंद में उन्होंने कई कविताएं लिखीं। बनारस में केदारनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी के सहपाठी रहे। एक बार नामवर जी, विश्वनाथ जी की डायरी पलट रहे थे। एक कविता पर उनकी नजर ठहरी। कहे-यह तो अच्छी कविता है। जर्मनी के भारतीय विद्वान डॉ- लोठार लुत्से ने त्रिप....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें